हैदराबाद की झलकियाँ तस्वीरों में

सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा...
गीत की दो पंक्तियाँ यह भी हैं..
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे ज़माँ हमारा।।
यह बात इक़बाल ने अपने देश हिंदुस्ताँ के लिए लिखी थी और देश केवल इतिहास और भुगोल नहीं होता, बल्कि देश उसकी सभ्यता और संस्कृति में होता है, देश भाषा और बोली में होता है, देश के अपने रंग, अपना रूप और अपने मौसम होते हैं, जिन्हें मिटाया नहीं जा सकता, जो फीके नहीं पड़ते, यह रंग रह-रह कर उभरते हैं, चमकते हैं और अपना असर ज़हनों पर छोड़ जाते हैं। हैदराबाद की बोली, उसके गली-कूचे, उसके महल, उसके दरो- दीवार और उसकी महफिलेें भी अपने ही रंग-रूप में रचे-बसे हैं। इस पर संकटों और मुसीबतों के कितने ही बादल आये और छट गये, लेकिन इस शहर ने अपनी चमक बाकी रखी, बल्कि उसमें वृद्धि ही होती गयी। अपनी इसी रफ़्तार से उसने 425 साल पूरे कर लिये।
शहर की कला-संरक्षक डॉ. अवनी राव ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए शहर को उसके 425वें वर्ष के जश्न में पुरानी और नयी तस्वीरों में पेश करने का निर्णय लिया है। उन्होंने शहर को अपने कैमरे की आँख में कैद करने वाले 28 फोटोग्राफरों के कुछ खास चित्र जमा किये हैं और उन्हें पुराने शहर के गली-कूचों तथा महलों में `डायलेक्ट एण्ड डायलॉग इन स्ट्रीट्स ऑफ हैदराबाद' शीर्षक से प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। यह प्रदर्शनी 3 अक्तूबर से शुरू होगी।
अवनी राव बताती हैं कि हैदराबाद चाहे कुतुबशाहों के समय का रहा हो या नज़िामों के समय की इसकी अपनी महानगरीय संस्कृति रही हो, लेकिन यह हमेशा अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब के साथ जीता रहा है। चाहे ऐतिहासिक इमारतें या फिर रंगारंग उत्सव बोनालू हो कि मुहर्रम लोग एक रंग होकर इसके गली-कूचों में जमा हो जाते हैं। इसके दक्कनी संवाद, उर्दू शायरी और लश्कर तेलुगु मिलकर एक अनोखा फ्लेवर तैयार करती है। अर्थ और राजनीति अपना प्रभाव रखने के बावजूद यह फ्लेवर बदलता नहीं है। हालाँकि इस फ्लेवर में हाईटेक सिटी और गच्ची बावली का आधुनिक रंग-रूप भी चढ़ गया है। इस नयी वृद्धि ने उस पुरानी संस्कृति को नये आयाम दिये हैं। आज भी फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर हैदराबाद की वह तस्वीरें साफ झलकती हैं, जो इसकी अपनी असली पहचान रही हैं। जिनके साथ खड़े होने में नयी और पुरानी दोनों पीढ़ियों को गर्व का अनुभव होता है। यही बात है कि हैदराबाद न सिर्फ भारत का वेलकमिंग शहर रहा है, बल्कि विश्व में इसे हैप्पनिंग सिटी के रूप में भी देखा जाता रहा है। इन सब बातों को इस प्रदर्शनी में आसानी से महसूस किया जा सकता है।
हैदराबाद को अपने कैमरों में कैद करने वालों में सबसे लोकप्रिय छायाचित्रकार हैं राजा दीनदयाल। उनके साथ इस प्रदर्शनी में अमिता तलवार, अखिल तंडुलवाडीकर, अवनी राव गंड्रा, चंद्रशेखर सिंह, कंदुकुरी रमेश बाबू, केवीजेआर कोटेश्वर राव, काशिफ अली, कृष्णेंदु हल्दार, कुमार कांचु, लक्ष्मी प्रभाला, प्रभाकर कुसुम, राजेश पमनानी, राधाकृष्ण राव, आदित्य मोपुर, रामा वीरेश बाबू, रमेश बाबू, रवि रेड्डी, रवींदर रेड्डी, संजय बोरा, सत्यनारायण गोला, सौरभ चटर्जी, शरत मुदुपु, स्वारत घोष, विश्वेंदर रेड्डी, विद्या राव एवं वेंकट एलेंदुला शामिल हैं। इन तस्वीरों की प्रदर्शनी सरदार महल, चौमहल्ला पैलेस तथा लाड़ बाज़ार में जमील बिन जमील, सिद्दीक़ फिशिंग स्टोर,  ईट एण्ड ट्रीट, उमर बैंगल्स, मुजीब बैंगल्स, अमीना गुलशन एम्बरइडरी वर्कशॉप, गोविंद लाल असावा दवासाज़, निमरा केफे तथा ए एच जरीवाला के पास प्रदर्शित की जाएगी। 3, 8 एवं 15 अक्तूबर को क्यूरेटर अवनी राव के साथ सुबह 11  बजे इस प्रदर्शनी का आवलोकन किया जा सकता है।

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