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सेल्फी का स्वार्थ

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 दौर चाहे जितना बदल जाए और आदमी अपने ऐश व आराम के लिए चाहे जितने साधन , संसाधन जुटा ले , वह अपनी प्रकृति में अधिक नहीं बदल सकता। उसमें , अच्छी-बुरी भावनाएँ , खुशी , दुख और क्रोध का उसका जज़्बा रह-रह कर उसे बताता रहेगा , कि बाहर की तेज़ी से बदलती दुनिया उसके भीतर को अपने साथ बहा ले जाने का अधिक सामर्थ्य नहीं रखती। अब सेल्फी को ही लीजिए...एक पल से भी कम समय के लिए हल्की सी खुशी देने वाला यह स्मार्ट कर्म हो सकता है कि बहुत सारे लोगों की सप्रमाण स्मृतियों में वृद्धि करने वाला बने , लेकिन अंजाने में होने वाली चेहरों की निकटता किसी-किसी के लिए जी का जंजाल भी बनती जा रही है। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएँ सामने आयी हैं , जिसमें सेल्फी के स्वार्थ से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। हम अपनी जेबों में जिस पिटारे को लिए घूम रहे हैं , वह बड़े स्मार्ट तरीके से करम करने के साथ-साथ सितम भी ढा रहा है। चलो सेल्फी हो जाए के चक्कर में पता नहीं हम अपने चेहरे को कितने ही अंजान और कभी कुछ जानपहचान के चेहरों के निकट ले गये हैं , लेकिन सेल्फी के सेल्फिश चेहरे के बारे में जानकर हमारा चौंकना