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Showing posts from 2019

दिल का रास्ता- एक कहानी

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(बहुत दिन बाद कोई कहानी हुई है। एक ख़याल था, जो बेचैन किये हुए था, लिख दिया, पेश है।) .................................... ‘ तुम्हारी पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत हैं। ’ ‘ क्या बकवास है। ’ ‘ क्यों क्या तुम्हें अपनी पिंडलियों की तारीफ सुनना पसंद नहीं। ’ ‘ अजीब आदमी हो। इतने साल से साथ हो, तुमने कभी मेरे चेहरे की तारीफ नहीं की और अब तुम्हें पिंडलियों की तारीफ सूझी है। ’ ‘ मैंने तुम्हारा चेहरा कभी ग़ौर से नहीं देखा। देखा भी हो तो याद नहीं है कि उस चेहरे में तुम थीं भी या नहीं। आज जब पानी में पैर हिलाते हुए तुम्हारी पिंडलियों पर नज़र पड़ी तो महसूस हुआ कि वह बहुत ख़ूबसूरत हैं। रहा नहीं गया , इसलिए कह दिया। अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं अपने बोल वापिस ले लेता हूँ। ’ ‘ नहीं ऐसा नहीं है, तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन अफसोस तो रहेगा कि जिस चेहरे को मैं आईने में घंटों निहारती रहती हूँ, उसमें तुम्हारी कोई दिलचस्पी नहीं है और अब पिंडलियों में... ’ ‘ नहीं तुम बिल्कुल ग़लत समझ रही हो। मेरी नियत बिल्कुल साफ है, लेकिन यह ज़रूर कहूँगा कि तुम्हारी पिंडलियाँ बहुत ही सुडौल

विदेशी पर्यटकों में लोकप्रिय हैदराबादी चाय और बिस्कुट

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चारमीनार की निमरा कैफ और बेकरी ऐतिहासिक विश्वधहरों की सूची में जगह पाने के अनमने प्रयासों के बीच पीछे रह गये हैदराबाद शहर के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक और विशेषज्ञ मानते हैं कि यहाँ ऐसा बहुत कुछ है , जो दुनिया के पर्यटन प्रेमियों को अपनी ओर खास तौर पर आकर्षित करता है। विशेषकर चारमीनार परिसर में बहुत सारे परिवर्तनों के बावजूद पर्यटक यहाँ पहुँचकर कभी मायूस नहीं होता कि काफी कुछ बदल गया है, वे अपने को अजनबी महसूस नहीं करते। स्मार्ट दुनिया के जागरूक पर्यटकों की खास बात यह है कि वे जब चारमीनार पहुँचते हैं तो यहाँ और इसके आस-पास की दुनिया के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुके होते हैं। उनके अध्ययन में मक्का मस्जिद और चारमीनार के बाद अगर कोई तीसरी जगह होती है तो वह है निमरा कैफ और बेकरी की चाय और बिस्कुट। इनके स्वाद के चर्चे इन दिनों सीमा पार बल्कि सात सममंदर पार तक पहुँच गये हैं। विदेशी पर्यटक इसकी महक की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। इनमें आम-ख़ास दोनों तरह के पर्यटक मौजूद हैं। इस लोकप्रियता का श्रेय निश्चित रूप से निमरा प्रबंधक के पर्यटन प्रेम को जाता है , जो हैदराबादी मेहमाननवाज़ी

तेज़ी से बदल रहा है पर्यटन- युवराज पाडोले

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सप्ताह का साक्षात्कार.... युवराज पाडोले मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के उप - निदेशक हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का अच्छा अनुभव रखते हैं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के रीवा ज़िले में हुआ। उन्होंने स्थानीय मॉडल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद रसायन शास्त्र और भाषाविज्ञान में अलग-अलग स्नातकोत्तर की डिग्रियाँ प्राप्त कीं और जनसंचार में स्नातक तथा सल्जबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेज्मेंट आस्ट्रेलिया से पर्यटन प्रबंधनन में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की। वे मध्य प्रदेश सरकार में सहायक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और बीते तीन दशकों में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अब उपनिदेशक पद का कार्यभार संभावल रहे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश पर्यटन रोड शो में भाग लेने के लिए हैदराबाद आये थे। इस अवसर पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं। आम तौर पर मध्यप्रदेश में पर्यटन का मौसम अक्तूबर से मार्च तक होता है , लेकिन आप मानसून के दौरान भी प्रयटकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं , क्या चीज़ें हैं , जिसे देखने पर्यटक मानसून के दौरान आ सकते हैं ? मध्यप्रदेश मे

ढूंढते रह जाओगे...बड़े ग़ुलाम अली मार्ग

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टैंकबंड से लौटते हुए जैसे ही हम बाएँ मुड़ते हैं लंबी चौड़ी सड़क से गुज़र कर एक सिग्नत तक पहुँचते हैं। यह लिबर्टी चौराहा है। हालाँकि कभी यहाँ तीन ही रास्ते हुआ करते थे, लेकिन बाद में बल्दिया की दीवार टूटने के बाद एक और रास्ता खुल गया है। इस चौराहे को लिबर्टी के नाम से जाना जाता है। कोई नया मेहमान अगर लिबर्टी के नाम पर गूगल की जानकारी से गुमराह होकर यह समझ ले कि यहाँ लिबर्टी का कोई शोरूम होगा वह निराश होगा। यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। जंक्शन के बाईँ ओर एक भवन है, जिसका नाम लिबर्टी प्लाज़ा है, जहाँ कभी थिएटर हुआ करता था और इसी से इस चौराहे का नामकरण हुआ है। इसके बिल्कुल सामने एक बड़ी-सी इमारत के बग़ल में एक पेट्रोल पंप है। यहीं पर हमारी निगाहें कुछ तलाश कर रही हैं। इसलिए कि इस चौराहे का एक और महत्व है। यहाँ से बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ मार्ग शुरू होता है। बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। हैदराबाद के कल परसों ही की बात है। यही कोई बीस-बाइस साल पहले. जब पंडित जसराज से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया था कि इस सड़क का बड़ा महत्व है। इसलिए भी कि यहीं पर ज़हीर यार जंग की देवढ़ीं में बड़े ग़ुलाम अली ख

बेढ़ंगा होता जा रहा है हैदराबाद का चाँद रात बाज़ार

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चाँद का देखना , चाँद रात की मुबारकबाद और ईद की पूर्व रात की ख़रीददारी कभी पुराने शहर हैदराबाद की खास विशेषता हुआ करती थी। कुछ लोग इसकी एक झलक के लिए ही इस ओर खिंचे चले आते थे। आज भी आते हैं , लेकिन न आकर्षण न खिंचे चले आने का सुख , बल्कि बाज़ार से बाहर निकलते वक़्त शिकायतें , झुंझलाहट , तनाव , फिर से न आने का वक़्तिया वादा और भीड़ से मुक्ति पाकर सांस लेना ही रह गया है। हैदराबाद के पुराने शहर में अगर कोई ख़ूबसूरत , आकर्षक और मनमोहक सार्वजनिक स्थल है तो वह चारमीनार के पूरब उत्तर-पूर्वी दिशा में फैले दो बाज़ार ,  नये पुल लेकर चारमीनार तक फैला दीवान देवढ़ी , मदीना , पत्थरगट्टी , चारकमान और गुलज़ार हौज़ का हिस्सा और दूसरी ओर लाड़ बाज़ार , लेकिन इन दिनों यह बाज़ार बेढंगा होता जा रहा है। खास कर उत्सव के दिनों में इसकी चमक पर अव्यवस्था की धुंध जमती जा रही है। रमज़ान का महीना ख़त्म हो गया है और ईद की खुशियाँ भी बंट चुकी हैं , लेकिन जिन्होंने महीने के आख़री दिनों और चाँद रात में कई विशेषताओं से भरे पुराने शहर के इन दो प्रमुख बाज़रों की स्थिति देखी हो , उनकी चिंताए बढ़ गयी होंगी। यह लाज