विदेशी पर्यटकों में लोकप्रिय हैदराबादी चाय और बिस्कुट

चारमीनार की निमरा कैफ और बेकरी
ऐतिहासिक विश्वधहरों की सूची में जगह पाने के अनमने प्रयासों के बीच पीछे रह गये हैदराबाद शहर के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक और विशेषज्ञ मानते हैं कि यहाँ ऐसा बहुत कुछ है, जो दुनिया के पर्यटन प्रेमियों को अपनी ओर खास तौर पर आकर्षित करता है। विशेषकर चारमीनार परिसर में बहुत सारे परिवर्तनों के बावजूद पर्यटक यहाँ पहुँचकर कभी मायूस नहीं होता कि काफी कुछ बदल गया है, वे अपने को अजनबी महसूस नहीं करते। स्मार्ट दुनिया के जागरूक पर्यटकों की खास बात यह है कि वे जब चारमीनार पहुँचते हैं तो यहाँ और इसके आस-पास की दुनिया के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुके होते हैं। उनके अध्ययन में मक्का मस्जिद और चारमीनार के बाद अगर कोई तीसरी जगह होती है तो वह है निमरा कैफ और बेकरी की चाय और बिस्कुट। इनके स्वाद के चर्चे इन दिनों सीमा पार बल्कि सात सममंदर पार तक पहुँच गये हैं। विदेशी पर्यटक इसकी महक की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। इनमें आम-ख़ास दोनों तरह के पर्यटक मौजूद हैं। इस लोकप्रियता का श्रेय निश्चित रूप से निमरा प्रबंधक के पर्यटन प्रेम को जाता है, जो हैदराबादी मेहमाननवाज़ी के उच्च लक्षणों को प्रतिबिंबित करता है।
चारमीनार जो आज सीपीपी(चारमीनार पदचालन परियोजना) का हिस्सा है, कभी यहाँ वाहनों के अवागमन के कारण ठहरने के लिए जगह नहीं रहती थी, तब भी मक्का मस्जिद से बिल्कुल सटकर छोटी-सी बेकरी के उस्मानिया बिस्कुट लोगों को अपनी ओर ज़रूर आकर्षित किया करते थे। उसी बेकरी संचालकों की नयी पीढ़ी के युवा उद्यमी असलम बिन अबूद से मिलकर कोई भी व्यक्ति आसानी से यह महसूस कर सकता है कि पर्यटन की दुनिया में हाल के चार पाँच वर्षों में इस बेकरी की लोकप्रियता के पीछे असलम की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
असलम अपने इस पर्यटन प्रेम के बारे में बताते हैं कि पिता के साथ यहाँ आने के दौरान उन्होंने पाया कि पर्यटकों, विशेषकर विदेशियों के साथ बातचीत से वे काफी हिचकिचाते थे, लेकिन एक दिन एक हिंदुस्तानी पर्यटन लेखक ने उनकी सारी हिचकिचाहट निकाल दी। धीरे-धीरे उन्होंने विदेशी पर्यटकों के साथ बतियाना और उनकी रुचि के बारे में जानना शुरू किया। उन्होंने अपने बिस्कुट की गुणवत्ता को बेहतर करना शुरू किया, साथ ही उसकी पैकिंग में भी सुधार लाने की कोशिश की। एक दिन उन्होंने कुछ पर्यटकों को अपना सारा किचन दिखा दिया। नयी ऑनलाइन दुनिया उनके इन प्रयासों को लोकप्रिय बनाती रही। निश्चित रूप से यह हैरत में डालने वाला विषय हो सकता है कि उनकी इस बेकरी ने हज़ारों पर्यटनप्रेमियों को अपनी समीक्षा लेखन में सकारात्मक पहलु तलाश करने पर मजबूर किया।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस तथा पर्यटन से जुडी हस्तियों के लिए वह समय बड़ा अचरज का रहा, जब अमेरिका सहित विभिन्न देशों के दूतावासों के डिप्लोमेट इस बेकरी की चाय और बिस्कुट में दिलचस्पी दिखाने लगे। शायद इसके पीछे एक और कारण यह रहा कि आज हर दिन लगभग 100 विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या यूरोपीय और अमेरिकी देशों की होती है। असलम उन सब के लिए समय निकालते हैं। उन्होंने अब बिस्कुट में इतने सारे विकल्प तैयार किये हैं कि लोग एक बार में वे सब नमूने चख भी नहीं पाते। दूसरी, तीसरी, चौथी बार आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी है। अब प्रशासन को भी लगने लगा है कि चारमीनार का दौरा करने वाला कोई भी अतिथि निमरा कैफे और बिस्कुट का स्वाद चखे बिना यहाँ से न जाए। उनकी पर्यटक डायरी में हज़ारों विदेशी पर्यटकों की टिप्पणियाँ भरी हैं, जिसमें उन्होंने हैदराबाद और चारमीनार के बाद चाय और बिस्कुट का उल्लेख ज़रूर किया है।

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