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Showing posts from February, 2018

ख़्वाब.. छोटो छोटे

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 भारत रत्न अबुल फ़ाक़िर ज़ैनुल-आबेदीन अब्दुल कलाम कहते थे कि ख़्वाब देखेें, बड़े ख़्वाब। दुनिया को बदलने के ख़्वाब। वो बड़े आदमी थे। करनी और कथनी में अंतर नहीं रखते थे। उनके सपने बड़े थे और उन्होंने उसको साकार भी किया। वो चाहते थे कि देश के बच्चे भी बड़े ख़्वाब देखें। उनसे प्रेरित होकर बच्चों ने बड़े ख़्वाब देखे भी और कुछ बच्चे बड़े होकर उन्हें  पूरा करने में भी लगे हुए हैं, लेकिन हमारा क्या हमारे ख़्वाब तो बहुत छोटे छोटे हैं, वो भी पूरे नहीं होते। यही कि आज का दिन अच्छा गुज़रे, किसी से लड़ाई झगड़ा न हो। न हमारी गाड़ी किसी से टकराए और न किसी और की गाड़ी हमारा नुक़सान करे। दुकान पर अच्छे ग्राहक आयें। धंधा अच्छा हो। ऑफिस में किसी से चख़पख़ न हो। हमसे जलने वालों के हाथ ऐसा कोई हथियार न लगें कि वह अपनी तिकड़मों को हवा दे सके। घर आते हुए जेब में इतने पैसे हों कि बीवी बच्चों और माँ बाप को खुश करने के लिए दुकान से कुछ मेवे ख़रीद सकें। हमारा ख़्वाब यह बिल्कुल नहीं है कि हम ही जीत जाएँ। बस हम हारना नहीं चाहते। चांद तारे तोड़ लाने और सारी दुनिया पर छा जाने का ख़्वाब भी हमारा नहीं है। बस इतना

दूरस्थ शिक्षा में अपार संभावनाएं और अवसर- प्रो. शकीला ख़ानम

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प्रो. शकीला खानम डॉ. बी. आर अंबेडकर सार्वत्रिक विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो की निदेशक हैं। साथ ही वह भाषा विभाग की डीन भी हैं। उनका जन्म आंध्र-प्रदेश के गुडिवाडा में हुआ। उनकी माँ हैदराबाद से थीं और उर्दू की अध्यापिका थीं। यहीं पर उन्होंने बी.कॉम की शिक्षा पूरी की। हैदराबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी में एमए और पीएचडी करने के बाद उन्होंने हिंदी अधिकारी और अध्यापक के रूप में भी विभिन्न संस्थानों में काम किया। 1993 में विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति हुई। तुर्की के अंकारा विश्वविद्यालय में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय संपर्क परिषद की चेयर पर काम करते हुए दो वर्षों तक तुर्की के विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ा चुकी हैं। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में भी एक वर्ष तक प्रतिनियुक्ति पर हिंदी विभाग की अध्यक्ष रह चुकी हैं। सप्ताह के साक्षात्कर के लिए उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं- विश्वविद्यालय ने आपको डेब का निदेशक बनाया है। इस नये पद पर आपकी क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं? पहले दूरस्थ शिक्षा परिषद हुआ करती थी। यही अब डिस्टेन्स एजुकेशन ब्यूरो कहलाता है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयो