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...क्योंकि बारिश का संबंध केवल तन से नहीं, मन से भी होता है

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सम बदल गया है। धूप और गर्मी से हल्की-सी राहत मिल गयी है। बारिश की कुछ बूंदों ने चार महीनों से झुलस रहे तन को ही नहीं बल्कि मन को भी हल्का कर दिया है। क्योंकि बारिश का संबंध केवल तन से नहीं , मन से भी होता है। यही वो बारिश है , जो स्मृतियों को ताज़ा करती है। भावनाओं को भिगोती है। बचपन जब याद आता है तो बहुत कुछ याद आता चला जाता है। बादलों को देख कर उन्हें वर्षा के लिए बुलाने की इच्छा और उनके बरसने का आनंद। मराठी की एक मशहूर लोककविता है , जब बच्चे बारिश को बुलाते हैं तो कहते हैं- ये रे ये रे पावसा तुला देतो पैसा पैसा झाला खोटा पाउस आला मोटा पुराने लोग पैसा खोटा होने का अर्थ चाहे जो कुछ लें , लेकिन नयी सदी के लोग शायद बारिश में इसलिए नहीं भीगते हों , क्योंकि उन्हें अपनी जेबों में रखी नोटों के भीग कर बेकार होने का डर लगा रहता है। बारिश के मौसम और फिर उस मौसम को पल-पल जीने के आनंद को कवि से बेहतर भला कौन समझ सकता है! खुशी तो उस सूचना से भी मिलती है , जिसमें दूर देश के आकाश में बादल छाने का संदेश होता है। काले घन छा जाने की खुशी से वसुधा का अंग-अंग पुलकित