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Showing posts from September, 2017

तीन पंक्तियों की तलाश

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 देखना मेरी ऐनक से मूर्तिकाल राधाकृष्ण की एक कलाकृति दुनिया को देखने का एक अलग अंदाज आखिर क्या ढूंढते रहते हो … एक मित्र का अचानक पूछा गया यह सवाल पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि कोई बार-बार दोहरा रहा है , और पूछता रहता है कि किस बात की तलाश है , क्या चाहिए , क्यूँ भटकते रहते हो और जब यही सवाल अपने आपसे पूछता हूँ तो बड़ा दिलचस्प जवाब मिलता है। तीन पंक्तियों की तलाश है , जो सुकड़ती हैं तो दो और कभी कुछ बढ़ जाती हैं तो चार से पांच पंक्तियों तक फैल जाती हैं। पत्रकारिता की भाषा में इसे लीड या इंट्रो कहते हैं। वह भूमिका जो किसी भी समाचार के लिए बांधनी है। लीड़ जिससे सुर्खियाँ बनती हैं। सुर्खियाँ जो समाचार पत्र के पाठक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं , जिसमें एक दुनिया बसी होती हैं और उसी दुनिया के बाज़ार से निकल आते हैं समाचार।  एक पत्रकार की दिन भर की कमाई बस यह लीड ही होती है। इन तीन पंक्तियों के बिना उसकी दिन रात की मेहनत किसी काम की नहीं। और तीन पंक्तियाँ भी ऐसी कि जिसमें नयी , आकर्षक , ज़ोरदार , चटखारेदार , मसालेहदार , दमदार और न जाने कितने....दार की विशेषता होती है। अगर उसमे

हिन्दी के पाठक वर्ग में अपने लेखक को पालने की प्रवृत्ति नहीं है : पंकज प्रसून

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पंकज प्रसून पेशे से वैज्ञानिक हैं। वे केंद्र सरकार के लखनऊ स्थित केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान में तकनीकी अधिकारी हैं, लेकिन हिन्दी के काव्य मंचों पर एक व्यंग्य कवि के रूप में तथा पत्रिकाओं में व्यंग्य लेखक के रूप में भी वे जाने जाते हैं। रायबरेली जिले के सहजोरा गाँव में जन्मे गोंडा में पले-बढ़े पंकज शुक्ला की साहित्य में रुचि शुरू से ही थी। कवि के रूप में बाद में वे पंकच प्रसून कहलाए। विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि आर्जित करने के बाद वे सीडीआरआई से जुड़ गये। सरकारी सेवा में नियुत्त होने के बाद भी उनका लेखन जारी रहा और इसी लेखन के कारण आज वे देश के उन बहुत कम युवा व्यंग्यकारों में जाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं से पाठकों को प्रभावित किया है। हाल ही में हिन्दी दिवस के अवसर पर एनजीआरआई ने उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस अवसर पर साहित्य पठन-पाठन की वर्तमान स्थिति पर उनसे गुफ्तगु हुई।  पंकज प्रसून से हुई बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार हैं...   विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा और सेवा के दौरान साहित्य से कैसे जुड़ना हुआ? घर और गाँव में साहित्यिक माहौल था। यूँ तो ज़िला रायबर

अच्छी तरह से जानने का दुख

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देखना मेरी ऐनक से... दुनिया गोल तो है ही, बहुत छोटी भी है। जब कभी थोड़ी-सी फुर्सत में हम दोस्तों में एक दूसरे से बातचीत करते हुए तीसरे का जिक्र निकल आता है और पता चलता है कि एक से दूर रहने वाले बहुत से चेहरे दूसरे के कुछ क़रीब के हैं, तो लगता है कि दुनिया सचमुच में छोटी है। उसके इस छोटेपन में आदमी के बड़े होने का राज़ छुपा हुआ है। आदमी जब बड़ा होता जाता है तो दुनिया छोटी होने लगती है और दुनिया बड़ी होने लगती है तो आदमी छोटा। फलकनुमा पैलेस से हैदाराबद की एक शाम बच्चा बड़ा होने लगता है तो प्रश्न करने लगता है। कई बार माता पिता बच्चे के प्रश्नों के उत्तर देते हुए खुशी महसूस करते हैं, लेकिन जब प्रश्न बढ़ जाते हैं तो उन्हें भी झुंझलाहट होती है और गोलमोल-सा जवाब देकर बच्चे को खामोश करने की कोशिश की जाती है। यही माँ बाप कभी-कभी इस चिंता से ग्रसित भी होते हैं कि बच्चा कहीं अधिक न जान जाए। फिर जब वह बड़ा होता है तो माँ बाप चाहते हैं कि वह अधिक से अधिक जान जाए, इस दुनिया के बारे में। ताकि दुनिया उसके सामने छोटी होती रहे। कुछ नया जान पाने की खुशी भला किसे नहीं होती। दुनिया से जान प

घर से तो अच्छे ही कपड़े पहन के निकले थे

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  देखना मेरी ऐनक से... उस दिन शहर की एक स्टार होटल में एक फिल्म निर्देशक का इंटरव्यू करके कमरे से बाहर निकला था। पांचवीं मंज़िल से नीचे उतरना था। लिफ्ट का रुख किया और लॉबी का बटन दबाया। चौथी मंजिल पर लिफ्ट रुकी और दरवाज़ा खुला तो सामने का दृष्य असहज करने वाला था। एक युवती खड़ी थी। महसूस हुआ कि वह वार्डरोब जाने के बजाय ग़लती से लिफ्ट की ओर आयी है। यह कोई नयी बात नहीं थी। आये दिन इस तरह के दृष्य होटलों पबों और पार्टी स्थलों के आस पास देखने को मिलते हैं , लेकिन लगा कि यह दृष्य पता नहीं क्यों ज़हन से निकल नहीं पा रहा था। ज़हन को टटोला तो दो दिन पहले की घटना याद आयी। गोशामहल में प्लाइउड की एक दुकान पर उनके मालिक अग्रवाल साहब से बातचीत के दौरान जब नई पीढ़ी की आज़ाद रविश पर चर्चा होने लगी तो अचानक उनके लबों पर एक अंजाने दर्द और चिंता की मिली जुली प्रतिक्रिया थी। अग्रवाल साहब की यह चिंता उनकी अकेले की चिंता नहीं है , बल्कि एक सभ्य समाज की दो पीढ़ियों की बीच के वैचारिक संघर्ष को दर्शाने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने बताया कि वे अपनी पत्नी के साथ शहर की एक लक्ज़री होटल में