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Showing posts from January, 2017

अनोखी शख्सियत अनिल कुमार वाजपेयी से एक मुलाक़ात

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अनिल कुमार वाजपेयी ए.के. वाजपेयी के नाम से मशहूर हैं। इन दिनों ए.के. वाजपेयी तेलंगाना पुलिस के विशेष स्टोर `सुविधा' के सचिव हैं। उनके द्वारा लकड़ी का पुल पर स्थापित सौर ऊर्जा यूनिट का उद्घाटन हाल ही में पुलिस महानिदेशक अनुराग शर्मा द्वारा किया गया। सौर ऊर्जा यूनिट अब सरकार को बिजली देने के योग्य बन गयी है। ए.के. वाजपेयी दूसरी पीढ़ी के पुलिस अधिकारी हैं। पिता पंडित धरनीधर प्रसाद पुलिस की विशेष शाखा में एसीपी थे। उनका जन्म 23 दिसंबर, 1949 में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा लिटिल फ्लॉवर में हुई। अग्रवाल मल्टीपर्पस स्कूल से 12वीं तथा सरदार पटेल कॉलेज से डिग्री की शिक्षा पूरी करने के बाद वे पुलिस में भर्ती हुए और सब-इंस्पेक्टर से नॉन कैडर एसपी तक का सफर तय किया। ए.के. वाजपेयी ऐसे पुलिस अधिकारियों के बैच से आते हैं, जिन्होंने पुलिस परीक्षा हिन्दी में लिखी। इंटेलिजेंस विभाग में प्रशासनिक कार्यों में उनके योगदान को सराहा जाता है। आम तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद बहुत कम किसी का नाम सुनने को मिलता है। ए.के. वाजपेयी सुविधा स्टोर को नई उपलब्धियों की ओर ले जाने के प्रति निरंतर कार्य कर रहे हैं। उनका उद्

सिर्फ शौक से काम नहीं चलता जुनून चाहिए : प्रशांत लाहोटी

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प्रशांत लाहोटी हैदराबाद में कला एवं संस्कृति के संरक्षक के रूप में जाने जाते हैं। वे कलाकृति आर्ट गैलरी के निदेशक हैं और कृष्णाकृति फाउंडेशन के तहत विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन में सक्रिय रहते हैं। उनका जन्म हैदराबाद के कलाप्रेमी लाहोटी परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद पब्लिक स्कूल में हुई। इंजीनियरिंग एवं एमबीए करने के बाद वे व्यापार में जुट गये। प्रशांत लाहोटी आईटी उत्पादों की कंपनी `एक्सेस 2 फ्यूचर' के सीईओ भी हैं। कंपनी कई विख्यात बरंड के उत्पादों का व्यापार करती है। उन्होंने 2002 में कलाकृति आर्ट गैलरी की स्थापना की। बंजारा हिल्स, रोड नं. 10 पर एक ऐसे दौर में उन्होंने कलाकृति आर्ट गैलरी की स्थापना की, जब हैदराबाद में बहुत कम आर्ट गैलरियाँ थीं। यह घाटे का सौदा समझा जाता था। 2004 में वे कृष्णाकृति महोत्सव के साथ सामने आये। गैलरी ने अब तक जहाँ देश-विदेश के सैकड़ों कलाकारों की कृतियाँ प्रदर्शित की हैं, वहीं महोत्सव के दौरान देश-विदेश के कई लब्ध प्रतिष्ठित कलाकारों को हैदराबाद बुलाकर शहर की सांस्कृतिक रौनक में चार चाँद लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका

अब कोई अपराधी छुप नहीं सकता : एक दिलचस्प पुलिस अधिकारी राममोहन उक्कलम से मुलाक़ात

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पु लिस अधिकारी के नायक रूप को लेकर बहुत-सी कहानियाँ लिखी गयी हैं और बहुत-सी फिल्में बनी हैं, लेकिन सच में पुलिस विभाग को हीरो यदा कदा ही मिलते हैं। ऐसे ही एक हीरो इन दिनों तेलंगाना पुलिस में हैं, जिन्होंने अब तक लाखों बमों को नाकाम बनाया है। राज्य विशेष की पुलिस में रहते हुए भी उन्हें देश भर की राज्य एवं केंद्र पुलिस द्वारा नाजुक मौकों पर बुलाया जाता है। वे साइबर अपराधियों के लिए सीधे निशाने पर लगने वाला तीर माने जाते हैं। इस हीरो का नाम यू. राममोहन है, जो इन दिनों तेलंगाना की सीआईडी पुलिस के एसपी हैं। लोग टेलीविजन पर धारावाहिकों में सीआईडी की कहानियाँ देखते हैं, लेकिन राममोहन के जीवन में इन धारावाहिकों से अधिक दिलचस्प सच्ची कहानियाँ हैं। कर्नूल शहर में एक पुलिस अधिकारी के घर जन्मे और पले-बढ़े राममोहन के दिमाग में अपने पिता का आदर्श था। स्कूल व कॉलेज के जमाने में एनसीसी में उनकी दिलचस्पी और मेहनत के कारण स्वतंत्रता दिवस की राष्ट्रीय परेड का नेतृत्व करने का उन्हें मौका मिला। एसवी विश्वविद्यालय से उन्होंने विज्ञान से स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की। तत्कालीन आंध्र-प्रदेश पुलिस में वे

रंग और मूरतों का मिश्रित कमाल- शिवरामाचारी और आनंद गडपा

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बंजारा हिल्स के `गैलरी कैफ' में शिवरामाचारी और आनंद गडपा से बातचीत के दौरान महसूस हुआ कि ये दोनों अगर एक-दूसरे से न मिलते तो रंगों, चित्रों और मूरतों की दुनिया कला की एक नयी जादूगरी से महरूम हो जाती। दोनों कलाकार अपनी-अपनी दुनिया में नयी संभावनाओं को तलाशने का काम कर रहे हैं। लगभग दो दशक तक साथ में रहने के बाद उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि साथ-साथ तो वे चलते रहे हैं, लेकिन अब एकसाथ चल कर देखते हैं और फिर परिणामस्वरूप रंग और मूरतों की कला का एक संगम सामने आया। ये रंग-बिरंगी दुनिया हर आदमी के लिए अपना अलग रूप पेश करती है। किसी के लिए बहुत खूबसूरत तो किसी के लिए बदरंग, किसी के लिए संभवानाओं से भी अधिक खुशी का ठिकाना तो किसी के पास न खत्म होने वाले ग़म की दास्तान, लेकिन इस जहान ने उन्हीं लोगों को अपने ख़जानों से मालामाल किया है, जो खुद हासिल करने और फिर इसके लिए कुछ कर गुज़रने की प्रबल इच्छा शक्ति रखते हैं। वरना कई लोग इस दुनिया ए फानी से ऐसे ही गुज़र जाते हैं, जो अपने लिए एक अच्छा दोस्त, एक जीवन-साथी, एक अच्छा आलोचक भी नहीं ढूँढ पाते, बल्कि यह भी नहीं जान पाते कि वो इस दुनिया में