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Showing posts from June, 2019

ढूंढते रह जाओगे...बड़े ग़ुलाम अली मार्ग

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टैंकबंड से लौटते हुए जैसे ही हम बाएँ मुड़ते हैं लंबी चौड़ी सड़क से गुज़र कर एक सिग्नत तक पहुँचते हैं। यह लिबर्टी चौराहा है। हालाँकि कभी यहाँ तीन ही रास्ते हुआ करते थे, लेकिन बाद में बल्दिया की दीवार टूटने के बाद एक और रास्ता खुल गया है। इस चौराहे को लिबर्टी के नाम से जाना जाता है। कोई नया मेहमान अगर लिबर्टी के नाम पर गूगल की जानकारी से गुमराह होकर यह समझ ले कि यहाँ लिबर्टी का कोई शोरूम होगा वह निराश होगा। यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। जंक्शन के बाईँ ओर एक भवन है, जिसका नाम लिबर्टी प्लाज़ा है, जहाँ कभी थिएटर हुआ करता था और इसी से इस चौराहे का नामकरण हुआ है। इसके बिल्कुल सामने एक बड़ी-सी इमारत के बग़ल में एक पेट्रोल पंप है। यहीं पर हमारी निगाहें कुछ तलाश कर रही हैं। इसलिए कि इस चौराहे का एक और महत्व है। यहाँ से बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ मार्ग शुरू होता है। बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। हैदराबाद के कल परसों ही की बात है। यही कोई बीस-बाइस साल पहले. जब पंडित जसराज से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया था कि इस सड़क का बड़ा महत्व है। इसलिए भी कि यहीं पर ज़हीर यार जंग की देवढ़ीं में बड़े ग़ुलाम अली ख

बेढ़ंगा होता जा रहा है हैदराबाद का चाँद रात बाज़ार

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चाँद का देखना , चाँद रात की मुबारकबाद और ईद की पूर्व रात की ख़रीददारी कभी पुराने शहर हैदराबाद की खास विशेषता हुआ करती थी। कुछ लोग इसकी एक झलक के लिए ही इस ओर खिंचे चले आते थे। आज भी आते हैं , लेकिन न आकर्षण न खिंचे चले आने का सुख , बल्कि बाज़ार से बाहर निकलते वक़्त शिकायतें , झुंझलाहट , तनाव , फिर से न आने का वक़्तिया वादा और भीड़ से मुक्ति पाकर सांस लेना ही रह गया है। हैदराबाद के पुराने शहर में अगर कोई ख़ूबसूरत , आकर्षक और मनमोहक सार्वजनिक स्थल है तो वह चारमीनार के पूरब उत्तर-पूर्वी दिशा में फैले दो बाज़ार ,  नये पुल लेकर चारमीनार तक फैला दीवान देवढ़ी , मदीना , पत्थरगट्टी , चारकमान और गुलज़ार हौज़ का हिस्सा और दूसरी ओर लाड़ बाज़ार , लेकिन इन दिनों यह बाज़ार बेढंगा होता जा रहा है। खास कर उत्सव के दिनों में इसकी चमक पर अव्यवस्था की धुंध जमती जा रही है। रमज़ान का महीना ख़त्म हो गया है और ईद की खुशियाँ भी बंट चुकी हैं , लेकिन जिन्होंने महीने के आख़री दिनों और चाँद रात में कई विशेषताओं से भरे पुराने शहर के इन दो प्रमुख बाज़रों की स्थिति देखी हो , उनकी चिंताए बढ़ गयी होंगी। यह लाज