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Showing posts from May, 2015

...औरों का तड़पना देखकर तड़पा किये

शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर हैदराबाद से श्रीशैलम मार्ग पर स्थित प्रज्वला ने जो सुधार-सह-पुनर्वास-गृह बनाया है, उसे देख अनायास ही डॉ. सुनीता कृष्णन के कार्यों को सराहने को जी चाहता है। दरअसल, आज़ादी के लगभग 68 वर्ष गुजर जाने के बाद भी सुधार की जो असली तस्वीर हमारी सरकारें खोज ही नहीं पायीं, उसे सुनीता ने अपने बुलंद हौसलों एवं इन्सानी जज़्बे से साकार करने की कोशिश की है। ऐसा लगता है कि सुनीता ने जो कुछ अपने प्रारंभिक जीवन में भोगा है, उन अनुभवों के आधार पर जोखिम भरे कामों को बड़ी सरलता से करती गयी हैं। वेश्यालयों से बचाकर लड़कियों एवं औरतों को जिन जगहों पर आम तौर पर रखा जाता है, वे किसी बंदीगृह से कम नहीं होतीं, लेकिन प्रज्वला का शेल्टर होम उनसे बिल्कुल अलग है। यहाँ कुछ देर बिताकर हम महसूस कर सकते हैं कि दुनिया भर से पीड़ित, दुःखी, लूट, खसोट, धोखेबाज़ी तथा विश्वासघात से आहत अविश्वास की परतें ओढ़ें, जो औरतें और युवतियाँ यहाँ आती हैं, उनमें फिर से ज़माने के प्रति विश्वास जगाने का काम किया जाता है। बच्चों के लिए एक बहुत ही खूबसूरत, रचनात्मक गतिविधियों से भरा स्कूल, किशोरिय

खोये आत्म-सम्मान को पाने का संघर्ष

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            हमेशा रास्ते साफ-सुथरे व फूलों से भरे नहीं होते। कभी किसी के हिस्से में काँटों से भरी राह भी आती है और कभी किसी को खुरदुरे और पत्थरों से भरे रास्ते भी तय करने पड़ते हैं। शायद शायर ने इसीलिए कहा है -   इन्हीं पत्थरों पर चल कर अगर आ सको तो आओ   मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है... लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि हम अपनी किस्मत के काँटों को किसी और के रास्ते में बोते चले जाएँ। डॉ. सुनीता कफढष्णन यही कुछ सोच कर लोगों के रास्तों के काँटे निकालने में लग गयीं। हालाँकि इस यातना-यात्रा में दूसरों के हिस्सों के काँटों की चुभन भी उन्हें झेलनी पड़ी। वह लगभग दो दशक से हैदराबाद में कार्यरत हैं। उनका परिवार केरल के पालक्कड़ से संबंध रखता है। उनका जन्म बेंगलुरु में हुआ और लालन-पालन हैदराबाद, बेंगलुरु तथा भूटान में। पिता भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग में कर्मी थे। एक सामान्य-सा निम्न मध्यवर्गीय परिवार, जहाँ छोटे-मोटे कार्यों के लिए तो बच्चों की सराहना हो सकती है, लेकिन परंपराओं से उलट कोई बड़ा साहसिक कार्य करने पर प्रशंसा की बजाय बेगानगी ही मिलती है। विपत्तियों में अ