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Showing posts from May, 2017

सफलताओं का सफर वहाँ से शुरू होता है, जहाँ खोने के लिए कुछ न हो - सुभाष गुप्ता

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सुभाष गुप्ता रंगमंच, टीवी तथा रेडियो के कलाकार रहे हैं। 2 नवंबर, 1947 को पुरानी दिल्ली में इनका जन्म हुआ। यहीं पर स्कूली शिक्षा परप्त की। लगभग 50 वर्षों तक एक कलाकार के रूप में उन्होंने अनगिनत किरदारों को जिया। दिल्ली का अभियान थिएटर उनका कर्मस्थल रहा। विख्यात नाटककार राजेंदरनाथ के निर्देशन में उन्होंने नाटक पोलमपुर का, अलीबाबा, महानिर्वाण हनूष, उद्धवस्त धर्मशाला, जात ही पूछो साधु की सहित कई नाटकों में काम किया। वे गत 12 वर्षों से हैदराबाद में रह रहे हैं। यहाँ पर भी उन्होंने कुछ नाटकों में काम किया। हाल ही में उन्होंने ला-मकान में मंचित विजय तेंदुलकर केे ख्याति परप्त नाटक कमला का निर्देशन किया। इससे पूर्व उन्होंने हैदराबाद में `जी हुजूर' का मंचन किया। सुभाष गुप्ता मूल रूप से बैंककर्मी रहे हैं। कला की प्यास बुझाने के लिए उन्होंने रंगमंच और टीवी को चुना। ब्लैक एण्ड व्हाइट के दौर से लेकर हाल तक उन्होंने कई टेलीधारावाहिकों और टेलीफिल्मों में महत्वपूर्ण किरदार निभाए। कुलुभूषण खरबंदा, ओमपुरी, एस.एम. ज़हीर, कीमती आनंद, एच.एस. कुलकर्णी, शैलेंद्र गोयल, एम.के. रैना जैसे कई कलाकारों के साथ

किताबों में नहीं है कबीर का असली रूप : विपुल रिखी

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`कबीरा खड़ा बाज़ार में सबकी माँगे खैर, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर ...' कबीर वाणी गाते हुए विपुल रिखी सुनने वालों को एक अजब शहर की सैर कराते हैं। वे हाल ही में हैदराबाद आये थे। कुछ सार्वजनिक और कुछ निजी महफ़िलों में उन्होंने हिस्सा लिया। कबीर की लोकगायन परंपरा को विपुल ने पेश किया। विपुल 19 मई, 1977 में दिल्ली में जन्मे, यहीं पले-बढ़े और अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की। यहाँ तक तो उनके पास कबीर उतने ही थे, जितना एक प्रथम भाषा या द्वितीय भाषा हिन्दी पढ़ने वाले विद्यार्थी के पास होते हैं। एक दिन लोकगायन परंपरा के गायक प्र¼ाद टिपाणिया को सुनकर विपुल काफी प्रभावित हुए और कबीर प्रॉजेक्ट का हिस्सा बन गये। लेखक के रूप में दिल्ली और पुडुचेरी में समय गुज़ारने के बाद वे 2012 से बेंगलुरू में रह रहे हैं। सप्ताह के साक्षात्कार में उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार हैं...  कबीर प्रॉजेक्ट से कैसे जुड़ना हुआ? दरअसल अंग्रेज़ी साहित्य में एमए करने के बाद मैंने लेखन और अनुवाद के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। मैंने कुछ डाक्युमेंटरी भी बनाए। वर्ष 2008 की बात है, मैं