तेज़ी से बदल रहा है पर्यटन- युवराज पाडोले

सप्ताह का साक्षात्कार....
युवराज पाडोले मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के उप-निदेशक हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का अच्छा अनुभव रखते हैं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के रीवा ज़िले में हुआ। उन्होंने स्थानीय मॉडल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद रसायन शास्त्र और भाषाविज्ञान में अलग-अलग स्नातकोत्तर की डिग्रियाँ प्राप्त कीं और जनसंचार में स्नातक तथा सल्जबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेज्मेंट आस्ट्रेलिया से पर्यटन प्रबंधनन में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की। वे मध्य प्रदेश सरकार में सहायक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और बीते तीन दशकों में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अब उपनिदेशक पद का कार्यभार संभावल रहे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश पर्यटन रोड शो में भाग लेने के लिए हैदराबाद आये थे। इस अवसर पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं।
आम तौर पर मध्यप्रदेश में पर्यटन का मौसम अक्तूबर से मार्च तक होता है, लेकिन आप मानसून के दौरान भी प्रयटकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्या चीज़ें हैं, जिसे देखने पर्यटक मानसून के दौरान आ सकते हैं?
मध्यप्रदेश में मानसून जुलाई से शुरू होता है। जुलाई अगस्त और सितंबर में नेचरल फाल्स बंद कर दिये जाते हैं। इन तीन महीनों में पर्यटन विभाग ने कुछ ऐसे आयोजनों को पर्यटन से जोडने की योजना बनायी है, जिससे पर्यटक मानसून के दौरान भी आकर्षित हो सकें। इसके लिए सबसे पहले हमने क्वीन ऑफ सतपुरा के अंतर्गत मानसून मैराथन का आयोजन किया है। पिछले वर्ष बहुत अच्छा प्रोत्साहन मिला है। पर्यटकों की मांग को देखकर ही इसे वार्षिक आयोजन में बदला गया है। हमने जुलाई के तीसरे रविवार को इसका आयोजन निश्चित किया है। इस वर्ष भी यह पंचमढ़ी में होने जा रहा है।
क्या आपको लगता है कि भारत का आम पर्यटक धार्मिक यात्राओं से हटकर प्राकृतिक सौंदर्य और धरहरों के लिए पर्यटन की योजना बनाने के प्रति जागरूकत हो गया है?
मध्यप्रदेश में हम महसूस कर रहे हैं कि पहले पर्यटक अधिकतर धार्मिक स्थलों या उत्सवों तक ही सीमित रहा करते थे, लेकिन अब वर्ष भर पर्यटकों का आगमन हो रहा है। उनकी यात्राओं के पैटर्न को बदलते देख पर्यटन विभाग उनकी ज़रूरतों को समझने का प्रयास कर रहा है। 20 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए गतिविधियों की योजना बनाई जा रही है। विशेषकर उनमें फोटोग्राफी का शौक है और अच्छे-अच्छै कैमरे आने के कारण वे ट्रैकिंग या वाइल्ड लाइफ की फोटोग्राफी के लिए निकल जाते हैं। दर असल परिवार के हर सदस्य के लिए उम्र के अनुसार पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है।
क्या मध्यप्रदेश पर्यटन से राजस्व कमाई की रणनीति अपना रहा है?
अभी तो पर्यटन विभाग की प्राथमिकता इस पर है कि पर्यटन अधिक महंगा न हो। पिछले वर्ष ही सरकार ने टूरिज्म फ़ॉक आल का नारा दिया था। कोशिश यह की जा रही है कि पर्यटक कम खर्च में अधिक स्थानों का आनंद और अनुभव प्राप्त कर सके। इसके लिए पर्यटन स्थलों के आस-पास आवश्यक सेवाओं की आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है। इससे पर्यटन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तकर से लोग जुड़ेंगे और उनकी आय के स्रोत बढ़ेंगे।
मध्य प्रदेश के जो लोग दूसरे राज्यों या देशों में रह रहे हैं, उनके लिए पर्यटन विभाग क्या कोई अलग नीति रखता है?
ऐसी कोई अलग से नीति तो नहीं है, लेकिन प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में निवेश की नीति को सुलभ किया जा रहा है, ताकि जब वे बाहर से अपने घर या गाँव आयें तो उसके आस-पास पर्यटन स्थलों को उन्नत करने में अपनी भागीदारी की संभावना तलाश कर सकें, अपनी संस्कृति से जुड़ सकें। ग्रामीण क्षेत्रों स्थानीय कला-संस्कृति को प्रोत्साहित कर देशी संस्कृति के पुरनोत्थान में भी वे अपनी भूमिका निभा सकते हैं।  

हैदराबाद के पर्यटकों के लिए किस तरह के पैकेज मध्य प्रदेश पर्यटन ने प्रस्तुत किये हैं?
हैदराबाद सहित सभी मेट्रो शहरों से मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों से जोड़ने के लिए पैकेज उपलब्ध हैं। हैदराबाद से जो लोग हवाई यात्रा द्वारा इंदोर पहुंचते हैं, उनके लिए ज्योतिर्लिंग दर्शन का पैकेज है, जो 4 रातों और 5 दिन का है। ओमकारेश्वर, महेश्वर, मंदु एवं उज्जैन की यात्रा इस पैकेज में शामिल है। ट्रेन से नागपूर पहुँचने वाले पर्यटकों के लिए भी नागपुर से पेंच और पंचमढ़ी की 3 रातें और 4 दिन की पर्यटन यात्रा का प्रबंध है। इसके अलावा, भोपाल-पंचमढ़ी-साँची तथा  सतपुरा एवं बंधवागढ़ एवं खजुराहों की यात्राओं के पैकेज हैं। इन पैकेजों की विस्तृत जानकारी बेगमपेट स्थित पर्यटक भवन में मध्य प्रदेश के पर्यटन कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है। हालाँकि पहले निर्धारित स्थानों से फिक्स डिपार्चर की योजना रखी थी, लेकिन  बाद में यात्रा को पर्यटकों की ज़रूरत के अनुसार पैकेज शुरू किये हैं।
आप लगभग 30 साल से पर्यटन विभाग में कार्य कर रहे हैं, कैसा अनुभव रहा?
पर्यटन में हर दिन परिवर्तन होता रहता है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों में तो और तेज़ हो गयी है। दर असल पर्यटन क्षेत्र में काम करने के लिए एक नज़रिये की ज़रूरत होती है, ताकि हर चीज़ में पर्यटन का पहलू तलाश किया जा सके। मैं गाँव ही की बात करता हूँ, एक ज़माना था कि लोग गाँव में चल्हे की रोटी ही पकती थी और अब लोग जिज्ञासा और शौक के चलते चूल्हे की रोटी खाने गाँव पहुंचने लगे हैं। बड़े होटल और रिसार्ट्स भी स्थानीय संस्कृति के प्रदर्शन में लगे हुए हैं।

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