तलाश छोटी छोटी खुशियों की...

देखना मेरी ऐनक से....

उस कैबिन से निकला तोदो पॉयलट बाहर खड़े थे। उन्होंने पूछाकहाँ की उडान थी। मैंने कहा हुसैन सागर... जवाब थाबस इतनी दूर... आप हमारे साथ होते तो स्वित्ज़रलैंड घूम आते और फिर सब खिलखिलाकर हँस पड़े। कुछ दिन पहले फिरोज़ीगुडा में एयरइंडिया के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सेंट्रल ट्रेनिंग स्टैबलिशमेंट में जाने का मौका मिला। दर असल जब मैं अपने दो तीन साथियों के साथ सीटीई के सेम्युलेटर में दाखिल हुआ तो कैप्टन गुप्ता हमारे साथ थे। उन्होंने पॉयल्ट्स को दी जाने वाली ट्रेनिंग का नमूना बताते हुए हमें भी थ्री डी के साथ हुसैन सागर का दौरा कराया। हम उस सेम्युलेटर बिल्डिंग से बाहर भी नहीं निकले और एक तकनीक ने हमें एहसास दिलाया कि हम सचमुच में कुछ देर में हवाई सफर कर आये हैं। यह सब थ्री डी और हैड्रोलिक व्यवस्था का कमाल था।

एयर इंडिया की अधिकारी पूजा कौशिक से बातों बातों में जानकारी मिली कि इस सेम्युलेटर में दुनिया के कई देशों की यात्रा पर आधारित थ्री डी प्रस्तुतियाँ मौजूद हैं। इस तरह लगभग सारी दुनिया एक छोटे से सेम्युलेटर कक्ष में सिमट आयी है। कितना ही अच्छा होता कि हर आदमी के पास अपना सेम्युलेटर होता और वह अलाउद्दीन के चिराग़ की तरह उसे घिसता और .. हुक्म मेरे आक़ा... कहने वाले जिन को हुक्म देता कि उसे अपनी ख्वाहिशों की दुनिया में पहुँचा दे।
दुनिया चाहे जितनी बड़ी हो या ग्लोबल गाँव की तरह सिमटी हुईलेकिन लगातार बढ़ती ख्वाहिशों के कारण वह रेत की तरह मुट्ठी से छूटती चली जाती है और जो है उसमें खुशी हासिल करने के बजाय हम जो नहीं हैउसके दुख में धंसते चले जाते हैं। इस कशमकश में जो हैवह भी छूटता चला जाता है और बड़ी ख्वाहिशों के पूरा न होने का दुख, छोटी छोटी ख्वाहिशों के पूरे होने के सुख को छीन लेता है।
हमने पश्चिम से बहुत सारी चीज़ों को अपनाया, बिना सोचे समझे कि यह हमारी प्रकृति से सूट करती भी हैं या नहीं, लेकिन एक चीज़ नहीं अपनायी, छोटी छोटी बातों पर खुश होने, दुनिया को देखने, नयी नयी जगहों पर जाने और नये नये लोगों से मिलने के बारे में हम कम ही सोचते हैं। स्कुली शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल से मिलने का इत्तेफाक़ हुआ। मैंने पूछा कि उनमें से कितने लोगों ने हवाई सफर किया है, लगभग सभी का जवाब ना था, लेकिन वे इसकी इच्छा ज़रूर रखते हैं। आज हवाई सफर एक्सक्लूज़िव नहीं रहा। वह मध्य वर्ग की पहुँच में है। फिर भी ऐसे सेकड़ों लोग मिल जाएँगे, जिन्होंने एक बार भी हवाई सफर नहीं किया।

इतना ही नहीं, हैदराबाद में रहकर भी कई लोग ऐसे मिलेंगे, जिन्होंने चारमीनार या गोलकोंडा नहीं देखा और हुसैन सागर के आस पास एक खूबसूरत शाम नहीं गुज़ारी। एक ओर हम बहुत सारी छोटी छोटी खुशियों से वंचित रहते हैं, जो हमारे पास हैं, हमारी अपनी हैं, वहीं दूसरी ओर उधार के दुःखों की चिंता हमें सताती रहती है। जो चीज़ें हमारी अपनी नहीं हैं, भला उनके न मिलने का दुःख काहे, हम इस बारे में सोचकर क्यों परेशान हों। इतना ज़रूर किया जा सकता है कि जो चीज़ें अपनी हैं, जो लोग अपने हैं, उन्हें अपना बनाए रखने के लिए समर्पण बना रहे। मुहब्बत बनी रहे और जो खुशियाँ अपनी पहुँच में हैं, उसे पाने की हमेशा कोशिश की जानी चाहिए। खास तौर पर घूम फिर कर कुछ नयी जगहों को देखकर उसकी स्मृतियों को जिया जा सकता है। चाहे वे अपने शहर के ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटन स्थल ही क्यों न हों।

हुसैन सागर की एक खूबसूरत शाम..अपने फोन के कैमरे पर क्लिक करते हुए
अजीब सी खुशी का एहसास हुआ कि यह मेरे अपने शहर की शाम है। 



Comments

  1. Very nice. Excellent Saleem ji

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  2. Very nice bhai asehi udanov ki traha àp p traki kare..

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  3. Masha ALLAH bahut khoob inshaAllah bahut jald aap ae milunga mere paas bhi ek khabar hai khaaaas

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  4. Masha ALLAH bahut khoob inshaAllah bahut jald aap ae milunga mere paas bhi ek khabar hai khaaaas

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  5. Beautiful experience... I wish I could get one... Amazing lines!!!
    आशा करती हूँ आपके आशीर्वाद से मुझे भी ऐसा अवसर मिले।

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  6. Beautiful experience... I wish I could get one... Amazing lines!!!
    आशा करती हूँ आपके आशीर्वाद से मुझे भी ऐसा अवसर मिले।

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    1. क्यों नहीं बिल्कुल मिलेगा, जहाँ चाह वहाँ राह

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  7. واہ ۔۔۔۔
    بہت خوب ۔۔۔۔

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