ब्लॉगर के रूप में इंडिवुड पुरस्कार
पुरस्कार के नामांकन से लेकर पुरस्कार समारोह तक का सफर
बड़ा दिलचस्प था। यूँ आज कल पुरस्कारों का अधिक महत्व नहीं रहा है। कई ऐसे
पुरस्कार देख चुके हैं कि जिसमें पुरस्कार देने वाले और पाने वाले दोनों पर सवाल
उठते रहे हैं, फिर भी जब बिना किसी पूर्व संभावना और इच्छा के किसी संस्था द्वारा पुरस्कार दिये जाते हैं तो उसका सम्मान ज़रूरी है। इंडिवुड से पहली बार जब फोन आया तो कार्तिका ने इंडिवुड पुरस्कार के लिए नामांकन हेतु कुछ जानकारी मांगी।
बात आयी गयी हो गयी, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से कार्तिका का फोन आया और उन्होंने
खुशखबरी दी कि पुरस्कारों के सूची में मेरा नाम भी शामिल है। पहले यह
पुरस्कार तेलंगाना के सचिवालय स्थित सभागार में आयोजित किया जाना था, लेकिन बाद में होटल प्लाज़ा में 4 अक्तूबर को संपन्न हुआ।
यूँ तो कई अवार्ड मिले, लेकिन 2011 में उस वक़्त की
आंध्र-प्रदेश सरकार ने श्रेष्ठ लेखक के रूप में पुरस्कार से सम्मानित किया गया था,
वह काफी महत्वपूर्ण था। इसलिए भी कि यह हिंदी में लेखन कार्य की मान्यता के रूप
में बड़ी उपलब्धि थी। इसी साल मैंने ब्लॉग शुरू किया था, लेकिन वक़्त की कमी के
चलते इसका सिलसिला थम-थम कर जारी रहा। फिर 2014 में इसमें कुछ सुधार आया और बीते
दो सालों में इसे 12 हज़ार से अधिक बार पढ़ा गया है। ब्लॉग को पढ़ने और
प्रोत्साहित करनेवाले सभी पाठकों का शुक्रिया और इंडिवुड का यह पुरस्कार उन्हीं के
नाम समर्पित करता हूँ। इसके लिए युवर स्टोरी से संपर्क में आये मलियालम के मशहूर
पत्रकार मुकेश नायर का शुक्रिया कि इस बहाने वो हैदराबाद आये और इंडिवुड की टीम से
मिलने का मौका मिला।
एफ एम सलीम
हार्दिक शुभकामनाएं सलीम भाई
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