बहुत खूबसूरत है ये दुनिया...




ग़ालिब ने कहा था-
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती
हो सकता है कि ग़ालिब के दिनों में लोग मौत के डर से रात-रात नहीं सोते होंगे, लेकिन आज लोग रात को दिन बनाने में लगे हुए हैं, बल्कि हज़ारों-लाखों की तादाद में लोग अपने हिस्से की रात दुनिया के दूसरे हिस्से के दिन को समर्पित कर रहे हैं। यह जानते हुए भी कि मौत के साथ ही सब कुछ ख़त्म हो जाएगा, लोगों ने दुनिया से मुहब्बत करना बंद नहीं किया है। 





दुनिया में ज़िंदगी और मौत सबसे ज्यादा चर्चित विषय रहे हैं। या फिर सारी दुनिया इन्हीं दो मुद्दों के अतराफ घूमती है। पिछले दिनों एक बहुत बड़े हादसे में मौत के मूँह से बचकर निकल आया। कुछ देर के लिए तो लगा कि अब सबकुछ छोड़ छाड़कर उस वक़्त की तैयारी में लग जाऊँ जब दुनिया छोडने का कोई अफ़सोस न हो। ऐसा कुछ कर जाऊं कि... ज़िंदगी का हक़ अदा हो। अस्पताल, डाक्टर नर्सें, दवाइयाँ, रिश्तेदार, दोस्तों और साथियों की हमदर्दी और मिज़ाज़पुर्सी...पता नहीं और क्या क्या है, जिससे दुनिया फिर से अपने मोह का जाल लगातार फैलाती जा रही है।
दुनिया के आकर्षण और मोह के बारे में हज़ारों संतों, पीर-पैग़म्बरों और ज़िंदगी का राज़ जानने के लिए अपने आपको समर्तिप करने वाले विद्वानों ने बहुत कुछ कहा है, समझाया है, मार्गदर्शन किया है, लेकिन शायद बहुत कम इन्सान ऐसे होंगे जो सचमुच में दुनिया के आकर्षण से अपने आपको बचा पाए हों।  दुनिया का मोह ही तो ज़िंदगी है। ज़िंदा रहने का अर्थ है दुनिया को भोगना, आख़री साँस तक। यह अलग बात है कि दुनिया को हमने कुछ दिया या उससे लेते ही रहे।
मिलाप मज़ा की क्लिप

माना जाता है कि इन्सान की प्रवृत्ति को या तो कोई महात्मा की संगत बदल सकती है या फिर जीवन में घटने वाली कोई बड़ी घटना से मिलने वाली प्रेरणा, लेकिन हमने यह भी देखा है कि मौत के दरवाज़े तक दस्तक देकर वापिस लौटे, राजनेता, आपराधिक दुनिया की बड़ी-बड़ी हस्तियाँ, बिजनेस टाइकून जब अस्पातल के बिस्तर से उठकर दुनिया की चकाचौंध से रू ब रू होते हैं तो फिर से दुनिया की मुहब्बत में पहले से ज्यादा जकड़े दिखाई देते हैं। चाहे जो हो.... मौत एक सच्चाई होने के बावजूद दुनिया की मुहब्बत, उसका जलवा झूठा नहीं है। ख़ुदा की बनाई हुई इस कायनात में दुनिया सबसे ख़ूबसूरत है। भला इन्सान की मुहब्बत इससे क्योंकर कम हो

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