सब ग़ुलाम -(लघु कथा)



जैसे ही उसकी आँख खुली, उसे शॉक-सा लगा। रेलवे प्लेट फार्म की बैंच पर लेटे-लेटे पता नहीं उसकी आंख कैसे लग गयी थी। हालाँकि उसका हाथ जेब पर ही था, लेकिन उसे पता नहीं चल पाया कि यह कैसे हुआ। उसे लगा कि उसकी जेब से पर्स ग़ायब हो गया है। इस अहसास से जैसे उसकी जान ही निकल गयी। वह हक्का बक्का रह गया। उसे यक़ीन ही नहीं हुआ। उसने जीन्स की जेब में हाथ डाला तो राहत महसूस की। पर्स जेब में ही था, लेकिन ये क्या ..पर्स बिल्कुल खाली। उसे ताज्जुब हुआ कि आखिर उसकी पर्स से किसने पैसे चुरा लिये।

उसने दिल में ठान लिया कि वह पुलिस में इसकी शिकायत करेगा और इस इरादे से वह फट से रेलवे स्टेशन से बाहर निकला। स्टेशन के बाहर की बस्ती में जब लोगों पर उसकी नज़र पड़ी तो, उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। सामने जो लोग इधर उधर आ जा रहे थे, बस का इन्तज़ार कर रहे थे। उन सब के चेहरे चौंका देने वाले थे। ऊपर से सिर का आधा हिस्सा ग़ायब था। यह सोचते हुए कि कहीं अभी वह नींद में तो नहीं है। उसने कई बार अपनी आँखें मली। सामने लोगों को देखकर उसे लगा कि वह किसी और दुनिया में आ गया है। सारे लोगों के सिर पिचके हुए थे, बल्कि लगता था, सिर की जगह खाली है। आँखों की जगह बस दो सुराख दिखाई दे रहे हैं। यह सब देखकर उसका सिर चकरा गया, लेकिन उसने इस ख्याल को दिमाग़ से झटका और आगे बढ़ा। उसे अपने पर्स से ग़ायब रुपयों की पड़ी थी। वहाँ से वो सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचा। पुलिस स्टेशन का मंज़र देखकर वह चकराकर गिरते-गिरते बचा। पुलिस के संतरी से लेकर इन्सपेक्टर तक सब के सब बस्ती के लोगों की तरह ही थे। उन सब के सिर पिचके हुए थे, जैसे किसी ने सिर में से सारी चीज़ें निकाल कर उसे खाली कर दिया हो।
इतना सब देखकर वो वहाँ से भाग निकलना चाहता था, लेकिन फिर उसे पर्स से ग़ायब हुए रुपयों की याद आयी। वह सीधा उस टेबल पर पहुंचा, जहाँ शिकायत लिखी जाती है, लेकिन यह क्या? शिकायत लिखने वाले के पास काग़ज़ तो था लेकिन क़लम नहीं, पूछने पर बताया गया कि पुलिस स्टेशन के सारे लोगों की क़लम सलाख़ों के पीछे रख कर ताला लगा दिया गया है और इसकी चाबी किसी और के पास है।

यह सारी बातें उसे पागल किये जा रही थी, लेकिन वह जानता चाहता था कि यह माजरा क्या है। एक पुलिस वाले ने उसे बताया कि बस्ती के सारे लोगों के सिर चम्बल के एक गिरोह के सरदार चम्बानी की क़ैद में हैं। उसे लगा कि यह नाइन्साफी। भला लोगों के दिमाग़ और क़लम भी किसी की क़ैद में कैसे रखे जा सकते हैं। वह दौड़ता हुआ चम्बानी की फैक्टरी में पहुंचा। वहाँ उसे बताया गया है कि पूरी बस्ती के लोग उसके कर्जदार हैं। क़र्ज़ न लौटाने की वजह से उनके सिर का ऊपर का हिस्सा निकाल कर रहन रख लिया गया है। यह सब उसकी समझ से बाहर था। वह अब अपना पर्स भी भूल गया था। वहाँ से वह तेज़ी से भाग निकला। भागते भागते उसने पलटकर देखा तो उसकी होश उड गये। एक साथ कई चम्बानी उसका पीछा कर रहे थे। उसने और तेज़ भागना शुरू किया, लेकिन यह क्या भागते, भागते उसने महसूस किया कि उसे तो भागने के लिए पैर भी नहीं है, उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लगा कि वह गिर जाएगा। वापिस जब रेलवे स्टेशन पहुंचा। उसकी ऩज़र वहाँ से निकल रही एक ट्रेन के शीशे में पड़ी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। शीशे में उसने देखा कि उसका सिर भी पिचक गया है। उसने चलती हुई ट्रेन की ओर हाथ बढ़ाए तो उसने महसूस किया कि उसके बाज़ू भी ग़ायब हो गये और वो बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा।.............................
 एफ. एम. सलीम

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