एक नज्म हुई है।

ख़ुशी स लोग हँसते हैं
ख़ुशी में रों भी देते हैं
ख़ुशी क्या है बता मुझको
वो ग़मके पास रहती है
या फिर दूर है कितनी
मैं ग़म से जब भी मिलता हूँ
हंसी रोने पे हंसती है

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