घटती पारसी जनसंख्या की चिंता निशब्द : पिनाज़
देश में सबसे छोटे अल्पसंख्यक `पारसी' समुदाय
की जनसंख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। इसकी चिंता तो समुदाय से लेकर सरकार तक सभी
को है, लेकिन सारी चिंताएँ उस समय निशब्द हो जाती हैं, जब पारसी
समुदायक के नियम सामने आ जाते हैं। इस पर अब तक कोई समझौता नहीं हो पाया है और न ही
ऐसा शीघ्र होने की संभावना हीं है। पारसी समुदाय से देश और दुनिया में विख्यात ग़ज़ल
गायिका पिनाज मसानी के सामने भी यह प्रश्न नि:शब्द है। फिर भी वह केंद्र सरकार की योजना
-जियो पारसी- के लिए काम कर रही हैं। उनकी जनसंख्या बढ़ाने के विभिन्न उपायों के प्रति
जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रमों का हिस्सा हैं।
पिनाज़ मसानी लगभग छह बरस के अंतराल के बाद दक्षिण मध्य सांस्कृतिक
केंद्र नागपूर द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में गाने के लिए हैदाराबाद आयी
हैं। पिनाज़ से बातचीत के दौरान ग़ज़ल, गायकी, संगीत जैसे
विषयों के अलावा पारसी समुदाय की घटती जनसंख्या पर भी चर्चा हुई। वह केंद्रीय अल्पसंख्यक
मंत्री नजमा हेपतुल्ला द्वारा पारसी समुदाय की लोकसंख्या बढ़ाने के लिए आयोजित किये
जाने वाले जागरूकता कार्यक्रमों के साथ जुडी हैं। पिछले दिनों दिल्ली में जब पारसी
समुदाय का जश्न हुआ तो देश भर से लोग यहाँ आये और इसमें भाग लेकर समस्याओं पर भी चर्चा
की। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भी उसमें उपस्थित थे।
पिनाज़ को गर्व है कि भारत में जहाँ भी पारसी समुदाय के लोग
रहते हैं, वे खूब मेहनत करते हैं और कम रहने के बावजूद देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, `यह छोटे
से भी छोटा अल्पसंख्यक समुदाय है, लेकिन देश
में सभी क्षेत्रों में उसके लोगों ने अपना योगदान किया है। चाहे वह राजनीति हो, शिक्षा
हो, चिकित्सा हो कि उद्योग हर जगह उनकी उपस्थिति है।'
पिनाज़ बताती हैं कि घटती जनसंख्या पर चिंतन तो रहा है, लेकिन इस
चिंतन के परिणाम शीघ्र आएँगे ऐसा नहीं लगता। उनके अनुसार, भारत में पारसियों की आबादी लगभग 61 हज़ार
है। पूरी दुनिया में डेढ़ लाख से भी कम हैं। अंतर्जातीय विवाह को मान्यता नहीं है।
लड़के को किसी तरह मान्यता मिल भी गयी, लेकिन लड़की
यदि अन्य जाति में विवाह करती है तो उसे पारसी नहीं माना जाता और यह भी ज़रूरी नहीं
है कि जो लड़का अंतर्जातीय विवाह करे उसके बच्चे भी पारसी हों। दूसरा सब से महत्वपूर्ण
कारण है कि वे जब तक कि अपने पैरों पर खड़े नहीं होते विवाह नहीं करते। हालाँकि समाज
में नयी सोच के लोग होते हैं, लेकिन नियम
उनकी इस सोच को मान्यता नहीं देते।
मुंबई में 40 हज़ार
पारसी हैं। सूरत में 3 हज़ार, पूणे में
6 हज़ार, हैदराबाद
में 1136 हैं।
पिनाज बताती हैं कि हैदराबाद में पारसियों को काफी सम्मानजनक पद प्राप्त थे। वे नज़िाम के मंत्रिपरिषद में शामिल थे। दिल्ली में 250 हैं, लेकिन दिल्ली में ये ढाई सौ लोग अपनी स्थिति काफी मज़बूत रखते हैं और जाने पहचाने नाम हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने जियो पारसी नामक विशेष योजना
पारसी लोकसंख्या को प्रोत्साहित करने के लिए बनायी है, जिसमें
संतानोत्पत्ति की समस्याओं का उपाचर करने के लिए मेडिकल खर्च भी सरकार वहन करती है।
इसके बावजूद इस योजना के अंतर्गत अब तक केवल लगभग 50 बच्चों
का जन्म हुआ है और सरकार आगामी चार वर्षों में 200 बच्चों
को लाभ पहुँचाने की संभावना है।
भारत के अवाला इनकी लोकसंख्या अफगानिस्तान, ईरान और
अमेरिका में है। अमेरिका में इनकी संख्या 45 हज़ार के
आस पास है। जब दिल्ली में इस चिंता को लेकर
लोग जमा हुए तो वहाँ टाटा भी थे और गोदरेज भी। इसके अलावा भी कई विख्यात नाम इस समुदाय
में शामिल हैं।
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