कोई माँ अपने बच्चे को नफरत करना नहीं सिखाती- नाज़िया इरम
नाज़िया इरम ने यूँ तो विकासात्मक परियोजनाओं पर संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ काम किया है, मीडिया में भी रही हैं। एक फैशन स्टार्टअप की मालिक हैं। यूपी मूल के एक परिवार में जन्मी और पली बढ़ी हैं। हालाँकि उनका जन्म असम में हुआ है, लेकिन शिक्षा दिल्ली विश्विविद्यालय में हुई है। वे मीडिया मेें स्नातकोत्तर की उपाधि रखती हैं। आज कल उनकी पुस्तक `मदरिंग ए मुस्लिम' चर्चा का विषय है। एक लेखिका के रूप मेें यह उनकी पहली पुस्तक है। तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं से संबंधित विषय पर पुरुष सत्तात्मक समाज पर कुछ बोल्ड टिप्पणियों के लिए भी उनका नाम सामने आया है। नाज़िया का मानना है कि 2014 के चुनावों के दौरान उन्होंने देश के कई इलाक़ों मेें नफरत का माहौल देखा। मुसलमानों को आतंकवादी के रूप मेें देखे जाने का नज़रिया बढ़ रहा था। उसी दौरान वह माँ बनी थी और उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि क्या एक मुसलमान की माँ होना ग़लत है। अपने बच्चे को अमन और शांति का माहौल देने की चिंता मेें उन्होंने कॉर्पोरेट स्कूलों का एक सर्वेक्षण किया और उसी को आधार बनाकर यह पुस्तक लिखी। हाल ही मेें मंथन ने उन्हें व्याख्यान के लिए हैदर...