Posts

कहानी फिर कहानी है

Image
मेरा आपका जन्मों का रिश्ता है। सब मानते हैं, मैं मनुष्य के साथ ही पैदा हुई हूँ । मैं कहानी हूँ। वही, जिसके कहने सुनने-सुनाने और पढ़ने-पढ़ाने में आपको बड़ा आनंद आता है। अंग्रेज़ी में मुझे स्टोरी, बांग्ला में गल्प और अरबी में क़िस्सा कहा जाता है। मैं मानव के आदिम स्वभाव का हिस्सा हूँ। इंसान चाहे सभ्य हो या असभ्य, मैं उसके साथ यात्रा करती रहती हूँ। वह बचपन से बुढ़ापे तक मुझे अपने भीतर पालता, पोसता, बड़ा करता, बल्कि कभी-कभी खींचतान कर अपनी सुविधा के अनुसार मेरी लंबाई-चौड़ाई को कम-ज्यादा भी करता रहता है। आप भी यही मानेंगे कि कहानी की शुरूआत बिल्कुल परियों से ही होती है, फिर उसमें राजा, रानी, राजकुमारी के साथ एक दुष्ट आत्मा भी शामिल हो जाती है, जिसे नये ज़माने की भाषा में विलन कहा जाता है। किसी ने पूछा था कि बचपन में दादी-नानी ही क्यों कहानियाँ सुनाती हैं, दर असल दादी नानी बच्चों के साथ अपना बचपन जीना चाहती हैं, इसलिए कहानी कहते-कहते खुद उसमें खो जाती हैं। जब बच्चे स्कूल जाते हैं तो वहाँ भी शौर्य ,  प्रेम ,  न्याय ,  ज्ञान ,  वैराग्य और   साहस की कहानिय...

कहानी आखिर हो ही गयी

Image
       इस कहानी में कोई हिरो नहीं है। हिरोइन भी नहीं है। यक़ीन मानिए कि जब हीरो और हिरोइन दोनों नहीं हैं तो विलेन के होने की संभावनाएं भी लगभग शून्य हैं। फिर भी कहानी हो ही गयी है, और आप इसे पढ़ भी रहे हैं। कल ही की बात है। सुबह ने कुछ देर पहले ही दस्तक दी थी। दरवाज़ा खोलकर मैं पहली मंज़िल की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अहाते के बाहर से भीतर झांक रही शैतूत के पेड़ की डाली से टकराया। डाली के हिलते ही एक चिड़िया फुर्र से उड़ी और दूसरी डाली पर जा बैठी। मैंने अगली सीढ़ी पर क़दम बढ़ाया। अभी क़दम पूरी तरह सीढ़ी पर रखा भी नहीं था कि अचानक एक आवज़ आई।        ' सुनो !'       मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। वहम समझकर मुड़ा ही था कि फिर वही आवाज़।       ' सुनो !'       देखा तो वहाँ हिलती हुई डाल और दूसरी डाल पर बैठी चिड़िया के अलावा कुछ नहीं था। चिड़िया कुछ इस तरह देख रही थी, जैसे मेरा चेहरा उसके लिए जाना पहचाना हो। मजबूरन मुझे भी उसी अंदाज़ में उसकी ओर देखना पड़ा। जान पहच...

दिल का रास्ता- एक कहानी

Image
(बहुत दिन बाद कोई कहानी हुई है। एक ख़याल था, जो बेचैन किये हुए था, लिख दिया, पेश है।) .................................... ‘ तुम्हारी पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत हैं। ’ ‘ क्या बकवास है। ’ ‘ क्यों क्या तुम्हें अपनी पिंडलियों की तारीफ सुनना पसंद नहीं। ’ ‘ अजीब आदमी हो। इतने साल से साथ हो, तुमने कभी मेरे चेहरे की तारीफ नहीं की और अब तुम्हें पिंडलियों की तारीफ सूझी है। ’ ‘ मैंने तुम्हारा चेहरा कभी ग़ौर से नहीं देखा। देखा भी हो तो याद नहीं है कि उस चेहरे में तुम थीं भी या नहीं। आज जब पानी में पैर हिलाते हुए तुम्हारी पिंडलियों पर नज़र पड़ी तो महसूस हुआ कि वह बहुत ख़ूबसूरत हैं। रहा नहीं गया , इसलिए कह दिया। अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं अपने बोल वापिस ले लेता हूँ। ’ ‘ नहीं ऐसा नहीं है, तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन अफसोस तो रहेगा कि जिस चेहरे को मैं आईने में घंटों निहारती रहती हूँ, उसमें तुम्हारी कोई दिलचस्पी नहीं है और अब पिंडलियों में... ’ ‘ नहीं तुम बिल्कुल ग़लत समझ रही हो। मेरी नियत बिल्कुल साफ है, लेकिन यह ज़रूर कहूँगा कि तुम्हारी पिंडलियाँ बहुत ही सुडौल...

विदेशी पर्यटकों में लोकप्रिय हैदराबादी चाय और बिस्कुट

Image
चारमीनार की निमरा कैफ और बेकरी ऐतिहासिक विश्वधहरों की सूची में जगह पाने के अनमने प्रयासों के बीच पीछे रह गये हैदराबाद शहर के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक और विशेषज्ञ मानते हैं कि यहाँ ऐसा बहुत कुछ है , जो दुनिया के पर्यटन प्रेमियों को अपनी ओर खास तौर पर आकर्षित करता है। विशेषकर चारमीनार परिसर में बहुत सारे परिवर्तनों के बावजूद पर्यटक यहाँ पहुँचकर कभी मायूस नहीं होता कि काफी कुछ बदल गया है, वे अपने को अजनबी महसूस नहीं करते। स्मार्ट दुनिया के जागरूक पर्यटकों की खास बात यह है कि वे जब चारमीनार पहुँचते हैं तो यहाँ और इसके आस-पास की दुनिया के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुके होते हैं। उनके अध्ययन में मक्का मस्जिद और चारमीनार के बाद अगर कोई तीसरी जगह होती है तो वह है निमरा कैफ और बेकरी की चाय और बिस्कुट। इनके स्वाद के चर्चे इन दिनों सीमा पार बल्कि सात सममंदर पार तक पहुँच गये हैं। विदेशी पर्यटक इसकी महक की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। इनमें आम-ख़ास दोनों तरह के पर्यटक मौजूद हैं। इस लोकप्रियता का श्रेय निश्चित रूप से निमरा प्रबंधक के पर्यटन प्रेम को जाता है , जो हैदराबादी मेहमाननवाज़ी...

तेज़ी से बदल रहा है पर्यटन- युवराज पाडोले

Image
सप्ताह का साक्षात्कार.... युवराज पाडोले मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के उप - निदेशक हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का अच्छा अनुभव रखते हैं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के रीवा ज़िले में हुआ। उन्होंने स्थानीय मॉडल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद रसायन शास्त्र और भाषाविज्ञान में अलग-अलग स्नातकोत्तर की डिग्रियाँ प्राप्त कीं और जनसंचार में स्नातक तथा सल्जबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेज्मेंट आस्ट्रेलिया से पर्यटन प्रबंधनन में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की। वे मध्य प्रदेश सरकार में सहायक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और बीते तीन दशकों में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अब उपनिदेशक पद का कार्यभार संभावल रहे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश पर्यटन रोड शो में भाग लेने के लिए हैदराबाद आये थे। इस अवसर पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं। आम तौर पर मध्यप्रदेश में पर्यटन का मौसम अक्तूबर से मार्च तक होता है , लेकिन आप मानसून के दौरान भी प्रयटकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं , क्या चीज़ें हैं , जिसे देखने पर्यटक मानसून के दौरान आ सकते हैं ? मध्यप्रदेश मे...