ढूंढते रह जाओगे...बड़े ग़ुलाम अली मार्ग
टैंकबंड से लौटते हुए जैसे ही हम बाएँ मुड़ते हैं लंबी चौड़ी सड़क से गुज़र कर एक सिग्नत तक पहुँचते हैं। यह लिबर्टी चौराहा है। हालाँकि कभी यहाँ तीन ही रास्ते हुआ करते थे, लेकिन बाद में बल्दिया की दीवार टूटने के बाद एक और रास्ता खुल गया है। इस चौराहे को लिबर्टी के नाम से जाना जाता है। कोई नया मेहमान अगर लिबर्टी के नाम पर गूगल की जानकारी से गुमराह होकर यह समझ ले कि यहाँ लिबर्टी का कोई शोरूम होगा वह निराश होगा। यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। जंक्शन के बाईँ ओर एक भवन है, जिसका नाम लिबर्टी प्लाज़ा है, जहाँ कभी थिएटर हुआ करता था और इसी से इस चौराहे का नामकरण हुआ है। इसके बिल्कुल सामने एक बड़ी-सी इमारत के बग़ल में एक पेट्रोल पंप है। यहीं पर हमारी निगाहें कुछ तलाश कर रही हैं। इसलिए कि इस चौराहे का एक और महत्व है। यहाँ से बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ मार्ग शुरू होता है। बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। हैदराबाद के कल परसों ही की बात है। यही कोई बीस-बाइस साल पहले. जब पंडित जसराज से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया था कि इस सड़क का बड़ा महत्व है। इसलिए भी कि यहीं पर ज़हीर यार जंग की देवढ़ीं में बड़े ग़ुलाम अली ख...