क्या घर मुझसे प्रेम करता है...
देखना मेरी ऐनक से.... मैं अकसर सोचता हूँ कि मैं घर क्यों जाता हूँ , मुझे घर क्यों जाना चाहिए ? घर में क्या है , जो मुझे बुलाता है , आकर्षित करता है ? ऑफिस का काम पूरा करने के बाद ऐसा क्या है जो मुझे सीधे घर की ओर खींचता है , बेचैन करता है कि मुझे कहीं और जाने के बारे में न सोचकर जल्द से जल्द घर की ओर जाना चाहिए। फिर मैं सोचता हूँ कि बहुत सारे लोग हैं , जो घर जाकर भी घर नहीं जाते , घर के पास की किसी पान की दुकान या चाय खाने पर बैठकर गप्पे मारते हैं , चबूतरे पर बैठकर रात का काफी सारा हिस्सा घर के बाहर ही बिताते हैं , तो फिर घर क्यों जाना चाहिए। जब शहर की पुलिस ने चबूतरा अभियान शुरू किया था , तब भी मैं सोचता रहा कि क्यों लोगों को घर अपने अंदर नहीं समाता , क्यों नहीं वह अपने भीतर रहने वालों को इतना प्यार करता कि एक बार जब थके हारे लौट आयें तो फिर से बाहर जाने के बारे में न सोचें। उसमें रहने और उसका प्यार पाने के लिए बेचैनी बढ़ती रहे और अदमी दफ्तर से घर की दूरी के लंबे लंबे रास्ते तय करता, ट्राफिक के अंतहीन समंदरों में तैरता , मैदानों में दौड़ता और पहाड़ों और वादियों को ची...