लेखक, कवि, शायर और शोध सुधारक डॉ.गिरिराज शरण अग्रवाल से एक मुलाकात
गिरिराज शरण अग्रवाल हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार और विद्वान हैं। उन्होंने देश भर में हिन्दी की शोध प्रक्रिया की खामियों को उजागर करने और उसे नयी दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे शोध दिशा जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका के संपादक हैं। डॉ. गिरिराज का जन्म 14 जुलाई, 1944 को संभल (मुरादाबाद, उत्तर-प्रदेश) में हुआ। एम.ए. और पीएच.डी. की शिक्षा उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पूरी की। वे कुछ दिनों पत्रकारिता में रहे और विभिन्न कॉलेजों में शिक्षक की भूमिका भी निभाई। सेवानिवृत्ति के बाद वे स्थायी रूप से लेखन और संपादन से जुड़ गये। खास बात यह है कि वे अपने दौर के विख्यात हास्य व्यंग्य कवि काका हाथरसी के छोटे दामाद हैं। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में उनके नाम हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि शोध के क्षेत्र में चोरी और सीना जोरी की परंपरा को बेनकाब करने में उनकी बड़ी भूमिका रही। इन दिनों शोध दिशा नाम से एक पत्रिका का संपादन भी करने लगे हैं। हाल ही में मंगलूर में प्रेमचंद के साहित्य के पुनर्मूल्यांकन पर आयोजित संगोष्ठी में उनसे मुलाकात हुई। इस दौरान उनके अनुभवों पर खुलकर बातचीत करने का मौक...